मन की बीणा मधुर तान छेड़ोजरा
उनको यादो मे अपनी बुलाने तो दो
नाम उनका अधर तुम लेना नही
मों न ही उनको मन मे आने तो दो
रूप का ध्यान कर बंद कर लो नयन
भाव से ही करो अर्चना बंदना
दृष्टि फेरो अभी उनको देkho नहीं
जरा आँखों मे काज़ल लगाने तो दो
Friday, April 23, 2010
Tuesday, April 20, 2010
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