Friday, April 23, 2010

आमंत्रण

मन की बीणा मधुर तान छेड़ोजरा
उनको यादो मे अपनी बुलाने तो दो
नाम उनका अधर तुम लेना नही
मों न ही उनको मन मे आने तो दो
रूप का ध्यान कर बंद कर लो नयन
भाव से ही करो अर्चना बंदना
दृष्टि फेरो अभी उनको देkho नहीं

जरा आँखों मे काज़ल लगाने तो दो

Tuesday, April 20, 2010

पनिहारिन

  • पनिहारिन नीकी लगी नीका तोरा गाँव
  • शीतल जल अमृत लगा पता तोरा ना
  • रुको बटोही द्वार पर नीम की मीठी छाव
  • जेठ दुपहरी तप रही कहा तुमारा गाव
  • पनघट शीतल छाव है शीतल उनका रूप
  • पथिक भला कैसे चले चलें न देती dhup

गर्मी

तपे दुपहरी री सखी पिया मेरे परदेश
मै ठाढ़ी हू जल लिए पनिहारिन के भेष