Monday, May 31, 2010

खता इतनी सी मेरी

मै तुमको प्यार करता हू
मेरी आँखों मे पढ़ लेना
कभी भी सामने आकर
इसे महसूस कर लेना
कटा इतनी सी मेरी है
इतना कसूर हो गया
वक्त की ठोकर से
मै दूर हो गया
मै तुमको याद करता हू
इसे स्वीकार कर लेना

Monday, May 17, 2010

तुम्हारा रूप

तुम्हारे पाव से लिपटी हुई ओ ओस की बुदे
समंदर मे गिरा मोती कहा ढूढे किधर ढूढे
तुम्हारा अक्स प्यारा है हवाए गुनगुनाती है
तुम्हारे रूप से झरकर चांदनी झिलमिलाती है
तुम्हारी देह की खुसबू महक फूलो मे लाती है
तुम्हारी याद का जादू नयन खोले नयन मुदे
तुम्हारे बोल मीठे सुन कोयल गीत गाती है
तुम्हारे ओठ को छु कर बासुरी सुर बजाती है
तुम्हारे पाव की पायलजब जब छम्छ्माती है
तुम्हारे हाथ को छूकर बीड़ा सुर लुटती है
तुम्हारे प्रेम का दरिया कहा डूबे कहा डूबे

Monday, May 10, 2010

रूप

शब्द लिखे तो क्या लिखे सुंदर उनका रूप
जाड़े जस नीकी लगे दिन भर ताजी धुप

Sunday, May 9, 2010

भावों की बरसात

यादे दोहराती रही सुधिय उनकी रात
मोंन मुखर करता रहा यादो की बरसात