Friday, April 23, 2010

आमंत्रण

मन की बीणा मधुर तान छेड़ोजरा
उनको यादो मे अपनी बुलाने तो दो
नाम उनका अधर तुम लेना नही
मों न ही उनको मन मे आने तो दो
रूप का ध्यान कर बंद कर लो नयन
भाव से ही करो अर्चना बंदना
दृष्टि फेरो अभी उनको देkho नहीं

जरा आँखों मे काज़ल लगाने तो दो

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