Monday, May 17, 2010

तुम्हारा रूप

तुम्हारे पाव से लिपटी हुई ओ ओस की बुदे
समंदर मे गिरा मोती कहा ढूढे किधर ढूढे
तुम्हारा अक्स प्यारा है हवाए गुनगुनाती है
तुम्हारे रूप से झरकर चांदनी झिलमिलाती है
तुम्हारी देह की खुसबू महक फूलो मे लाती है
तुम्हारी याद का जादू नयन खोले नयन मुदे
तुम्हारे बोल मीठे सुन कोयल गीत गाती है
तुम्हारे ओठ को छु कर बासुरी सुर बजाती है
तुम्हारे पाव की पायलजब जब छम्छ्माती है
तुम्हारे हाथ को छूकर बीड़ा सुर लुटती है
तुम्हारे प्रेम का दरिया कहा डूबे कहा डूबे

No comments:

Post a Comment