रोज की तरह बेताल जब राजा बिक्रम के कंधे पर सेट हो गया तो राजा ने मन मे सोचा की आज ऐसी कोई चाल चली जाय कीबेताल को मुझ से बात करने का मौका ही न मिले राजाअभी कोई उक्ति ढूढता की बेताल बोल पड़ादेखोबिक्रमहमारा तुम्हारा साथ तो काफी लम्बा हो गया है यह झारखण्ड राज्य के राष्ट्रपति शासन की तरेह जल्दी छूटने वाला नहीं . मुझे तो बेचारे राज्य वासियों पर भी तुम्हारी तरह ही तरस आ रहा है खैर तुम उनको छोड़ो और आज की कहानी
सुनो पर बीच मे टोका टांकी नहीं करना वरना मै कहानी पूरी नहीं करुगा और तुम्हे चुपचाप ही रास्ता तय करना होगा
अब बिक्रम भला बोलता भी तो क्या ?
अब बोलना तो बेताल को ही था सो बोला राजन आज मै तुम्हे उस राज्य की कहानी सुना रहा हु जहा फूल ड़ाल को ही खाने के फेर मे रहता है
अब बिक्रम से न रहा गया बोला बेताल बकवास मत करो रास्ते तो सब कट ही जाते है मेरा भी पार हो जायेगा भला ऐसा भी कही होता है फूल ड़ाल को खाय .
अभी कुछ भी कह लो पर बाद मे तो मेरी बात मानोगे . राजन वह राज्यअकूत खनिज
संपदा से भरा है कल कल करती नदिया वह के परिवेश को सुंदर रमणीक व जीवन के अनुकूल बनाती है इस राज्य के लोग कर्मठ इमानदार और सरल है सब आपस मे मिल कर रहते आये है पर इतनी संपदा के बाद भी इनका भरण पोषण काफी कठिनाई से होता आया है जानते हो क्यों ? यहाँ राजा की कुर्सी को लेकर हर वक्त घमासान मचा रहता है
एक कुर्सी पर बैठता है तो दूसरा उसकी टाग पकड़ कर खीच लेता है .और इस कुर्सी के खेल मे बेचारी जनता पिस रही है सारा तंत्र निरंकुश हो गया है जिसको जो मिला लेकर भाग रहा है is राज्य मे लूट जारी है अफसरशाही का मारा आम आदमी फरियाद करे भी तो किससे ?विकास की बात कौन करे .यहासड़क नाम का कुछ नहीं है
योजनाऊ का धन व्यक्तिगत निवेस मे बढ़ कर फलफूल रहा है यहाँ का एक राजा तो कुल
बज़ट का तीन हिस्सा डकार गया .उद्योग के लिए जमीन का रोना है जो है उनका दोहन
अफसर मनमाने तारीको से कररहे है गरीब आदमी एक घर की कोशिश मे पिस रहा है
अगर किसी ने छत डाल भी ली तो पुलिश व गुंडे अपनी पर उतर कर रंगदारी की माग करते है कुछ दिन पहले एक गरीब ने झोपडी बना ली तो उसकी सात व बारह साल की बच्चियों से रंगदारी के नाम पर बलात्त्कर किया गया .
बिक्रम तुम भी तो राजा हो पर अपनी जनता के लिए मुझे ढ़ो रहे हो राजा का धर्म भी तो यही है . पर यहाँ तो जनता की सुधि लेने की फुर्सत किसे है सब अपनी अपनी रोटी सेकने की कोसिस मे है अब तुम ही बताओ इस सुंदर राज्य के इन सरल उदारमना लोगो का भला कैसे होगा ?अब तुम बताओ यहाँ फूल डाल को खा रहा है की नहीं ? राजा अगर जानते हुए भी तुमने मेरी बात का जबाब नहीं दिया तो मै कहानी सुनना बंद कर दुगा .
बेताल तुम तो जानते हो मै जनता का दुःख नहीं देख सकता अतेह इस राज्य के लिए यहाँ की जनता के लिए जो भी मुझसे बन पड़ेगा करुगा . पर पहले तुम से निपट लू .
Monday, June 28, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete